कुछ ऐसी
कशिश है
तेरे इंतज़ार में .
डर लगता है
अब तो
कहीं आ ही न जाओ तुम .
अब हम कहाँ रहे हम
हम तुममें खो चुके हैं
जब खुद को दूंद लोगे
तब हमको पाओगे तुम .
Wednesday, April 28, 2010
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....बहुत सुन्दर,प्रभावशाली रचना !!!
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