Wednesday, April 7, 2010
नक्सलियों ने फिर एक बार अपने बर्बर मंसूबों को सफल अंजाम देते हुए उडीसा सीमा से लग हुए हमारे छत्तीसगढ़ प्रदेश की दक्षिण मैं स्थित दंतेवाडा जिले के चिंतलनार क्षेत्र मैं सीआरपीएफ के ७६ जवानों की जान ले ली !पहले और इस ताजे वारदात मैं फर्क ये है कि इसे अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला करार दिया जा रहा है !खबर यह भी है कि ये खिताब हासिल करने के लिए कोई नई चाल नहीं चलनी पडी है !कोई नए अंदाज़ में व्यूह रचना बनाकर किसी अप्रत्याशित ढंग से ये खूनी रिकार्ड बनाने में कामयाब नहीं हो गए नक्सली ! वही पुराना तरीका अपनाया कि पहले कुछ गिनती के लोगों पर वार करो,फिर इस वारदात में घायल होनेवाले या मृतकों के आसपास घात लगाकर इनकी मदद के लिए आने वाले जवानों का इंतज़ार करो ! और ज़ब वो आ जाएँ तो उनका भी सफाया कर दो ! अभी नौ महीने पहले यानी जुलाई २००९ में नक्सलियों ने राजनांदगांव जिले के मानपुर थाना क्षेत्र के मदनावाद्दा गाँव में पहले शौच के लिए गए दो जवानों को गोली मार दी और बाद में उनकी मदद के लिए पहुंचे राजनांदगांव के एसपी विनोद कुमार चौबे और मोहला थाना प्रभारी विनोद कुमार दृव व एएसआई कोमल साहू समेत ३४ जवानों को घेर कर मार डाला ! हमेशा की तरह इसे नक्सलियों की कायराना हरकत करार देते हुए प्रदेश शासन के अगुवाओं ने संकल्प जताया था कि इन शहीदों की शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी और इस वारदात से सबक लेकर उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी!ख्याल रहे पिछले दो दशकों से जारी हर नक्सली वारदात के बाद हर बार लगभग यही डायलाग दुहराए जाते रहें हैं लेकिन इस पर अमल क्यों नहीं होता ,कोई नहीं जानता! अलबत्ता ,एसपी श्रीचौबे के रूप में प्रदेश के पहले आईपीएस अफसर की ह्त्या के बाद माना जा रहा था कि प्रदेश सरकार इसे वाकई सबक के रूप में लेगी लेकिन कल दंतेवाडा जिले में फिर लगभग उसी तरह की वारदात से ये ज़ाहिर है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है !SS
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