एमसीआई द्वारा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और जगदलपुर मेडिकल कालेजों की मान्यता समाप्त कर दी गयी..इन्हें ऐन -केन-प्रकारेण कथित रूप से मान्यता दिलाने वाले प्रदेश के आला अफसर और नेता आज इस खबर का खुलासा होने के बाद चौकने या ताज्जुब जताने का दिखावा भले ही करें मगर इसमें ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है कि जिसे हैरत-अंगेज़ कहा जा सके ..सच तो ये है कि नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस शासनकाल में बिलासपुर और भाजपा शासनकाल में जगदलपुर में मेडिकल कालेजों की स्थापना का स्वागतेय कदम तो उठाया गया लेकिन मेडिकल कालेजों को वैधानिक मान्यता देने के लिए तय मापदंडों व शर्तों को पूरा करने में बुरी तरह नाकाम भी रहे ..दूसरी ओर अपनी इस असफलता को छुपाने के लिए ऐसे - ऐसे फर्जी तिकड़म अपनाए गए कि ठग सम्राट नटवरलाल भी इन्हें देख -सुनकर शर्मा जाए ..खासकर , मान्यता पाने के लिए जरूरी लेक्चररों व प्रोफेसरों आदि की फर्जी नियुक्तियां इतनी बेशर्मी से की गयी कि जिसकी मिसाल देने के लिए मुझे कोई शब्द ,कोई विशेषण तक नहीं सूझ पा रहा है ..
ख्याल रहे, नए मेडिकल कालेजों को मान्यता निर्धारित मापदंडों को पूरा करने के आधार पर दी जाती है ..इन मापदंडों में अध्ययन-अध्यापन के लिए पर्याप्त जगह,टीचिंग-स्टाफ,उपकरण आदि की उपलब्धता सहित मरीजों के इलाज़ की समुचित व्यवस्था होने सहित अनेक शर्तें शामिल हैं..छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस शासनकाल में बिलासपुर में मेडिकल कालेज की स्थापना की घोषणा के साथ ही इन तमाम व्यवस्थाओं के लिए खुले हाथ से फंड भी मुहैया कराये गए ..इन करोड़ों रूपयों के सदुपयोग और दुरूपयोग के किस्से समय-समय पर सुर्खियाँ बनते रहे ..अलबत्ता, इसे प्रथम वर्ष के लिए मान्यता देने से लेकर साल-दर- साल साल अपग्रेड व नवीनीकरण करने के पूर्व
जब-जब भी एमसीआई की टीम आई ,बिलासपुर से लेकर रायपुर तक के आला अफसरों के हाथ-पाँव फूलते रहे .. मापदंडों को पूरा नहीं कर पाना और मान्यता खतरे में पड़ने की आशंका इसका कारण बनती रही..सियासी नज़रिए से मान्यता पाने से लेकर आगे भी उसे बरकरार रखने का ये मुद्दा चूंकि सत्तारुद पार्टी के प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रहा ,लिहाजा राज्य सरकार ने भी अपनी और से कोई कोर-कसर नहीं छोडी..मापदंडों को पूरा करने में कमी सामने आने पर शासन स्तर पर अपनी जमानत तक दी..इस तरह ले-देकर हर साल मान्यता की गाडी आगे घिसटती रही..यहाँ ये बताना लाजिमी है कि मान्यता के नाम पर भवन निर्माण ,पुस्तकों और चिकित्सा उपकरणों की खरीदी आदि में अफसरों ने जहां जबरदस्त रुचि ली ..जबकि छात्रों को पदाने के लिए प्राध्यापकों का जुगाड़ करने जैसे सबसे महत्वपूर्ण काम को पूरा करने में वे तब से आज तारीख तक असफल ही साबित होते रहे..एमसीआई की जांच टीम के सामने इस कमी को छुपाने की साज़िश के तहत इधर-उधर के चिकित्सकों को दो-चार दिन के लिए नियुक्ति देकर काम चलाते रहे...इस तरह अफसरों की लाज तो किसी तरह बचती रही लेकिन मेडिकल छात्रों को पदाने के लिए कम से कम चालीस फीसदी प्राध्यापकों की कमी हमेशा बनी रही..इसी बीच छात्रों की तीन बेच डाक्टर बनाकर निकल भी गयी पर प्राध्यापकों की कमी बनी की बनी रही ..प्राध्यापकों की इस भारी कमी के बीच मेडिकल की पदाई अधकचरे दंग से पूरा करनेवाले ये डाक्टर अब जिन्दगी भर हजारों-हजार मरीजों का कितना और कैसा इलाज़ कर पाएंगे इस अहम् सवाल का जवाब आज कहीं से मिलता नहीं दिखता..इन मरीजों को होने वाले शारीरिक,आर्थिक और मानसिक नुकसानों का आकलन कौन और कैसे करेगा ..उन्हें इस नुकसान का मुआवजा किस जनम में मिल सकेगा..फर्जी तौर पर मापदंड पूरा करने की साज़िश करके ऐन-केन-प्रकारेण मान्यता हथियाना क्या जुर्म नहीं है ..किसे मिलनी चाहिए इस जुर्म की सज़ा..कोई भी सभ्य समाज इन सवालों से मुंह कैसे फेर सकता है..यहाँ ये बता दें कि मौजूदा भाजपा शासनकाल में जगदलपुर में मेडिकल कालेज का मान्यता पाने के लिए बिलासपुर जैसी तिकड़मों को अपनाया गया था ..इसी सत्र से पचास सीटों पर भर्ती की इजाज़त भी पा ली थी ..ये तो भला हो नई एमसीआई समिति का कि जिसने बिलासपुर के साथ ही जगदलपुर की मान्यता खत्म करके अधकचरे डाक्टरों की और नई पौध के ऊगने का रास्ता ही बंद कर दिया.
बेशक,इन दोनों मेडिकल कालेजों की मान्यता की समाप्ति के इस ताजे फैसले को छत्तीसगढ़ के हितों के विपरीत बताने वालों की तादाद भी कम नहीं होगी ..संयोग से आज ही पीएमटी का नतीज़ा भी निकला है और इन्हीं मेडिकल कालेजों में पदकर अपना भविष्य संवारने का सपना देखनेवाले छात्रों को भारी मायूसी होगी..लेकिन प्रश्न ये भी है ऐसे कालेजों से निकलनेवाले गुनवत्ताविहीन डाक्टर कल जब हमारा इलाज़ करेंगे तब हम पर क्या बीतेगी.ये शासन की जवाबदारी है वह केवल राजनीतिक वाहवाही लूटने के नाम पर नए-नए मेडिकल कालेज खोलने का ऐलान करने की जगह पहले मौजूदा कालेजों की मान्यताओं के लिए तय मापदंडों को ईमानदारी से पूरा करे और सही अर्थों में मरीजों की सेवा कर सकने योग्य अच्छे डाक्टर समाज को दे..
Friday, May 28, 2010
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नए-नए मेडिकल कालेज खोलने का ऐलान करने की जगह पहले मौजूदा कालेजों की मान्यताओं के लिए तय मापदंडों को ईमानदारी से पूरा करे और सही अर्थों में मरीजों की सेवा कर सकने योग्य अच्छे डाक्टर समाज को दे..
ReplyDelete... प्रसंशनीय भाव !!!
अगर शीर्षक भी देवनागरी में दें तो और अच्छा रहे.
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